शब्दिका

सन् 1980 से 2000 के दो दशक में मैं बच्चों की हरकतों को समेटकर लिखता रहा हंू। बच्चों की इन हरकतों को भारतीय और विदेशी परिवेश में मनोवैज्ञानिकता के आधार पर मैंने आलेख तैयार किया जो देश के प्रतिश्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रमुखता से प्रकाशित हुआ। जब तक राश्ट्रीय पत्रिका धर्मयुग प्रकाशित होता रहा तब तक उसमें मेरी बाल मनोवैज्ञानिक विशयक रचनाएं प्रकाशित होती रहीं। इसके अलावा मेरी रचनाएं नवनीत हिन्दी डाइजेस्ट और अणुव्रत में नियमित छपती रहीं। सर्वोदय प्रेस सर्विस और युवराज फीचर के माध्यम से बच्चों की हरकतों पर मेरी रचनाएं देश की छोटी बड़ी सभी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई। मेरी रचनाओं के ऊपर अखबारों में संपादकीय लिखे गए। पाठकों के कौतुहल और प्रोत्साहन भरा पत्र मिलता और मैं उत्साहित होकर पुनः लिखने लगता और धीरे धीरे मेरी इतनी रचनाएं प्रकाशित हो गयी कि उसका संकलन प्रकाशित करने के लिए पाठको के पत्र आने लगे। उनका मानना है कि इन रचनाओं को पढ़कर उनके घरों में बच्चों की समस्याओं को हल करने में बड़ी मदद मिलती है।

वास्तव में मैं उन्हीं विशयों पर लिखता हंू जो मुझे दिखाई देता है। मैं अपनी रचनाओं में उस परिवेश की भी चर्चा करता हंू जिसके कारण बच्चे प्रभावित होते हैं और अंत में मनोवैज्ञानिकता के आधार पर उसे हल करने के लिए सुझाव देता हंू। इसके लिए मैं खूब पढ़ता हंू, fचंतन भी करता हंू... इससे जो प्लेटफार्म मुझे मिलता है, जो चीजें मुझे दिखाई देती है उसे समेटने का प्रयास करता हंू। यही कारण है कि मेरी रचनाएं, उसके पात्र और परिवेश पाठकों को अपने लगते हैं। उन्हें लगता है जैसे मैं उनके किसी घटना के ऊपर लिखा हंू... और फिर पत्र और फोन आने का सिलसिला शुरू हो जाता है। इससे कई परिवार के बच्चे अच्छी जगहों में पहुंच गये और कुछ समय रहते नहीं सम्हल पाने के कारण बिगड़ैल बच्चों की तरह अपने परिवार की प्रताड़ना आज भी सहन कर रहे हैं। मुझे पाठकों ने जो स्नेह दिया, मेरे बच्चे, परिवेश और जीवन शैली ने मुझे जो राह दिखाई है, उसी की परिणति है यह संकलन। आशा है मेरा यह संकलन आप सभी को पसंद आयेगा। महामति प्राणनाथ के शब्दों में:-


सुनो रे सत के बंजारे, एक बात कहंू समझााई।
तस चाहो तो शब्दा चीन्हो, ओ आप न देवे दिखाई।।



प्रो. अश्विनी केशरवानी

1 comment:

  1. बच्चो के बाल मन के बारे हिंदी में उपलब्ध साहित्यों में से अनोखी यह रचना हिंदी के पाठको के लिये बहुत ही अच्छी जानकारी प्रदान करने वाली है
    मेरी राय में यह सभी उम्र के पाठको के पढ़ने लायक मजेदार, जानकारी से भरी, चुलबुली रचना है

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